अतिलघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
संख्या 200 को 2n . 5m के रूप में व्यक्त कीजिए।
हल
200 = 2 × 2 × 2 × 5 × 5 = 23 . 52
प्रश्न 2.
संख्या 500 को 2n . 5m के रूप में व्यक्त कीजिए।
हल
500 = 2 × 2 × 5 × 5 × 5 = 22 . 53
प्रश्न 3.
अभाज्य गुणनखण्ड विधि द्वारा संख्या 408 और 96 का म० स० ज्ञात कीजिए और फिर इनका ल० स० ज्ञात कीजिए।
हल
408 = 23 × 3 × 17
96 = 25 × 3
उक्त संख्याओं के उभयनिष्ठ अभाज्य गुणनखण्डों का (न्यूनतम घातों में)
गुणनफल अर्थात् म० स० = 23 × 31 = 24
उक्त संख्याओं के सभी अभाज्य गुणनखण्डों का (अधिकतम घातों में)
गुणनफल अर्थात् ल० स० = 25 × 3 × 17 = 96 × 17 = 1632
प्रश्न 4.
संख्या 72 और 120 का अभाज्य गुणनखण्ड विधि द्वारा म० स० ज्ञात कीजिए फिर इनका ल० स० ज्ञात कीजिए।
हल
72 = 2 × 2 × 2 × 3 × 3 = 23 × 32
120 = 2 × 2 × 2 × 3 × 5 = 23 × 3 × 5
म०स० = 23 × 3 = 24
तथा ल० स० = 23 × 32 × 5 = 8 × 9 × 5 = 360
प्रश्न 5.
x =
हल
असांत आवर्ती।
प्रश्न 6.
यदि 1261 तथा 1067 का H.C.F. 97 है तो इनका L.C.M. ज्ञात कीजिए।
हल
पहली संख्या × दूसरी संख्या = H.C.F. × L.C.M.
1261 × 1067 = 97 × L.C.M.
L.C.M. =
प्रश्न 7.
हल
अतः
इति सिद्धम्
प्रश्न 8.
बिना लम्बी विभाजन प्रक्रिया किए दिखाइए कि
हल
दी गई भिन्न के हर के गुणनखण्ड करने पर,
हम देखते हैं कि हर के गुणनखण्डों में 2 और 5 के अतिरिक्त अन्य कोई दूसरा गुणनखण्ड नहीं है।
अत:
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
दिखाइए कि 5 + √2 एक अपरिमेय संख्या है।
हल
कल्पना कीजिए कि संख्या 5 + √2 परिमेय संख्या है।
तब, 5 + √2 =
5 + √2 =
√2 =
(
√2 भी परिमेय संख्या है।
परन्तु यह तथ्य कि “√2 परिमेय संख्या है” असंगत एवं त्रुटिपूर्ण तथा अमान्य है जिसके लिए हमारे द्वारा की गई कल्पना ही गलत है।
संख्या 5 + √2 परिमेय नहीं हो सकती।
अत: संख्या 5 + √2 एक अपरिमेय संख्या होगी।
इति सिद्धम्
प्रश्न 2.
798 को अभाज्य गुणनखण्डों के गणनफल के रूप में लिखिए।
हल
798 में इकाई का अंक 2 से विभाज्य है।
798, 2 से विभाज्य है
798 = 2 × 399
पुनः 399 में 3 + 9 + 9 = 21 जो 3 से विभाज्य है
399, 3 से विभाज्य है ⇒ 399 = 3 × 133
133 = 7 × 19
⇒ 2, 3, 7 व 19 संख्या 798 के अभाज्य गुणनखण्ड हैं
अतः 798 = 2 × 3 × 7 × 19
प्रश्न 3.
सिद्ध कीजिए कि √3 एक अपरिमेय संख्या है।
हल
मान लें कि √3 एक परिमेय संख्या है।
अर्थात् हम ऐसे दो पूर्णांक a और b (≠ 0) प्राप्त कर सकते हैं कि √3 =
यदि a और b में, 1 के अतिरिक्त कोई उभयनिष्ठ गुणनखण्ड हो तो हम उस उभयनिष्ठ गुणनखण्ड से भाग देकर a और b को सहअभाज्य बना सकते हैं।
अतः b√3 = a
दोनों पक्षों का वर्ग करने तथा पुनर्व्यवस्थित करने पर हमें 3b2 = a2 प्राप्त होता है।
अत: a2, 3 से विभाजित है। इसलिए 3, a को भी विभाजित करेगा।
अतः हम a = 3c रख सकते हैं।
तब, 3b2 = a2
3b2 = (3c)2 या b2 = 3c2
इससे स्पष्ट है कि 3, b2 को विभाजित करता है; अत: 3, b को भी विभाजित करेगा।
इसका यह अर्थ हुआ कि 3, a तथा b दोनों का एक उभयनिष्ठ गुणनखण्ड है।
परन्तु यह तथ्य हमारी प्रारम्भिक परिकल्पना कि a तथा b परस्पर अभाज्य पूर्णांक हैं के विपरीत है।
यह विरोधाभास हमें इस कारण प्राप्त हुआ है, क्योंकि हमने एक त्रुटिपूर्ण कल्पना कर ली है कि √3 एक परिमेय संख्या है।
इसका यह अर्थ हुआ कि √3 एक परिमेय संख्या नहीं है बल्कि एक अपरिमेय संख्या है।
इति सिद्धम्
प्रश्न 4.
यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग करके 275, 225 व 175 का H.C.F. ज्ञात कीजिए।
हल
175 तथा 225 के लिए :
Step I. 225 = 175 × 1 + 50
Step II. 175 = 50 × 3 + 25
Step III. 50 = 25 × 2 + 0
अत: 225 व 175 का H.C.F. = 25 है।
225 तथा 175 के लिए :
Step IV. 275 = 175 × 1 + 100
Step V. 175 = 100 × 1 + 75
Step VI. 100 = 75 × 1 + 25
Step VII. 75 = 25 × 3 + 0
अत: 275 व 175 का H.C.F. = 25 है।
अत: 275, 225 व 175 का H.C.F. = 25
प्रश्न 5.
दर्शाइए कि 3 – √5 एक अपरिमेय संख्या है।
हल
मान लें कि 3 – √5 एक परिमेय संख्या है।
अर्थात् हम ऐसी सहअभाज्य संख्याएँ a और b (b ≠ 0) ज्ञात कर सकते हैं कि 3 – √5 =
अतः 3 –
इस समीकरण को पुनर्व्यवस्थित करने पर हमें प्राप्त होता है :
√5 = 3 –
चूँकि a और b पूर्णांक हैं, इसलिए 3 –
जो कि गलत है, चूँकि हम जानते हैं कि √5 एक अपरिमेय संख्या है।
अतः हमारी कल्पना कि 3 – √5 एक परिमेय संख्या है, गलत है।
अत: 3 – √5 एक अपरिमेय संख्या है।
इति सिद्धम्
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.
यूक्लिड की विभाजन प्रमेयिका का प्रयोग करके निम्नलिखित संख्या युग्मों का महत्तम समापवर्तक (H.C.F.) ज्ञात कीजिए :
(i) 657 तथा 306
(ii) 867 तथा 204
हल
(i) दी गई संख्याएँ = 657 तथा 306
657 > 306
Step I. दी गई संख्याओं 657 और 306 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से,
657 = (306 × 2) + 45 [∵ शेषफल 45 ≠ 0]
Step II. संख्याओं 306 और 45 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से,
306 = (45 × 6) + 36 [∵ शेषफल 36 ≠ 0]
Step III. संख्याओं 36 और 45 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से,
45 = (36 × 1) + 9 [∵ शेषफल 9 ≠ 0]
Step IV. संख्याओं 9 और 36 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से,
36 = (9 × 4) + 0 [∵ शेषफल = 0]
शेषफल शून्य है और भाजक = 9
अत: महत्तम समापवर्तक (H.C.F.) = 9
(ii) दी गई संख्याएँ = 867 तथा 204
867 > 204
Step I. दी गई संख्याओं 867 और 204 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से,
867 = (204 × 4) + 51 [∵ शेषफल 51 ≠ 0]
Step II. संख्याओं 204 व 51 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका के प्रयोग से,
204 = (51 × 4) + 0 [∵ शेषफल = 0]
शेषफल शून्य है और भाजक = 51
अत: महत्तम समापवर्तक (H.C.F.) = 51
प्रश्न 2.
4052 और 12576 का H.C.F. यूक्लिड विभाजन एल्गोरिथ्म का प्रयोग करके ज्ञात कीजिए।
हल
दी गई संख्याएँ 4052 और 12576 हैं।
12576 > 4052
तब,
Step I. दी गई संख्याओं 4052 व 12576 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
12576 = 3 × 4052 + 420 [∵ शेषफल 420 ≠ 0]
Step II. संख्याओं 420 व 4052 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
4052 = 9 × 420 + 272 [∵ शेषफल 272 ≠ 0]
Step III. संख्याओं 272 व 420 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
420 = 1 × 272 + 148 [∵ शेषफल 148 ≠ 0]
Step IV. संख्याओं 148 व 272 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
272 = 1 × 148 + 124 [∵ शेषफल 124 ≠ 0]
Step V. संख्याओं 124 व 148 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
148 = 1 × 124 + 24 [∵ शेषफल 24 ≠ 0]
Step VI. संख्याओं 24 व 124 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
124 = 5 × 24 + 4 [∵ शेषफल 4 ≠ 0]
Step VII. संख्याओं 4 व 24 के लिए यूक्लिड विभाजन प्रमेयिका से,
24 = 6 × 4 + 0 [∵ शेषफल = 0]
यहाँ शेषफल शून्य और भाजक 4 है।
अतः दी गई संख्याओं 4052 व 12576 का H.C.F. = 4