Mathematics Notes – X (Hindi)
अध्याय 1 वास्तविक संख्या
संख्या
(Number):- जो वस्तु के परिमाण अथवा इकाई का अपवर्त्य अथवा प्रश्न कितने? का जवाब देता है, संख्या कहलाता है.जैसे:- 5 किताब, 10, 15, आदि.
अंक
(Digit):- किसी अंकन पद्धति में जिससे संख्या बनाया जाता है वह अंक कहलाता है. दसमलव अंकन पद्धति में दस अंकों 0, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 का प्रयोग किया जाता है.
संख्यांक (Numerals):- संख्या को निर्देशित करने वाले अंकों अथवा संकेतों के समूह को संख्यांक कहा जाता है.
प्राकृत संख्याएं Natural Numbers :- वे संख्याएँ, जिनसे वस्तुओ की गणना की जाती है, प्राकृत संख्या कहलाती है. Or
वस्तुओं को गिनने के लिए जिन संख्याओं का प्रयोग किया जाता है, उन्हें गणन संख्याएँ या प्राकृत संख्याएँ कहते हैं.Or
गिनती की प्रक्रिया को, प्राकृत संख्या कहा जाता है.
जैसे ;- 1, 2, 3,
4, 5, 6, 7, . . . . ∞ (अनंत तक)
Note:-
- Ø प्रकृत संख्याएँ धनात्मक होती है
- Ø 1 सबसे छोटी प्रकृत संख्या है
- Ø शून्य को प्रकृत संख्या नहीं होती है
- Ø प्राकृत संख्या ‘N’ से प्रदर्शित किया जाता है
पूर्ण संख्याएं
:- यदि प्राकृत संख्याओ में शून्य (0) को सम्मिलित कर लिया जाए, तो उन संख्याओ को पूर्ण संख्याएँ करते है. Or
प्राकृत संख्या के समूह में शून्य को सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं, वे ‘पूर्ण संख्याएँ’ कहलाती हैं.
जैसे- 0, 1, 2, 3,
4, 5, 6, 7, . . . ∞
Note:-
- Ø पूर्ण संख्या को ‘W’ से प्रदर्शित किया जाता है
- Ø पूर्ण संख्या शून्य से शुरू होती है
- Ø प्रत्येक प्राकृत संख्या पूर्ण संख्या होती अहि
पूर्णाक संख्याएं (Integers) :-पूर्ण संख्याओ में ऋणात्मक संख्याओं को सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती है उन्हें पूर्णाक संख्याएँ करते है. Or
प्राकृत संख्याओं के समूह में शून्य एवं ऋणात्मक संख्याओं को सामिल करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं, वे संख्याएँ ‘पूर्णांक संख्या कहलाती हैं.
जैसे- -3, -2, -1,
0, 1, 2, 3, . . .
Note:-
- Ø पूर्णांक संख्या को ‘I’ से सूचित किया जाता है
- Ø पूर्णांक संख्या धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों होते है
- Ø I+ = 0,1,2,3,4,5… इस प्रकार के संख्या को धनात्मक पूर्णांक तथा
- Ø I– = -1,-2,-3,-4,-5…. एस प्रकार के संख्या को ऋणात्मक पूर्णांक संख्या कहा जाता है
- Ø शून्य (0) न तो धनात्मक और न ही ऋणात्मक पूर्णांक संख्या है
सम संख्याएँ (Even Numbers):- वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित हो जाती हैं उन्हें ‘सम संख्याएँ’ कहते हैं.
जैसे
2,4,6,8,10,12….
विषम संख्याएं
:- वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतया विभाजित नहीं होती है. वैसी संख्याएँ को विषम संख्या कहा जाता है.. जैसे- 1, 3, 5, 11, 17, 29, 39 ……
भाज्य संख्याएँ: वे संख्याएँ जो स्वयं और 1 के अतिरिक्त किसी अन्य संख्या से पूर्णतः विभाजित होती है, तो वह भाज्य संख्या कहलाती है.
जैसे- 4, 6, 8, 9,
10, 12, 14, 15, ……
Note:-
Ø
भाज्य संख्या सम एवं विषम दोनों होती है.
अभाज्य संख्याएं :- वे संख्याएँ जो स्वयं और 1 के अलावा अन्य किसी संख्या से विभक्त नहीं होती हैं, तो वह अभाज्य संख्या कहलाती हैं.
जैसे- 2, 3, 7,
11, 13, 17, 19….
Note:-
- Ø 1 न तो अभाज्य संख्या और न ही भाज्य संख्या है.
असहभाज्य संख्याएँ (Co-Prime Numbers) :-जब दो या दो से अधिक संख्याओं के समूह में कोई भी उभयनिष्ठ गुणनखंड न हो, अथवा जिसका म.स. (HCF) 1 हो, तो वे सह-अभाज्य संख्याएँ कहलाती हैं. Or
ऐसी संख्याओं के युग्म (जोड़े) जिनके गुणनखण्डों में 1 के अतिरिक्त कोई भी उभयनिष्ठ गुणनखण्ड न हो, तो उन्हें सह-अभाज्य संख्या कहते हैं.
जैसे- (4,9) ,
(12,25) ,(8,9,13) आदि के गुणनखंड में 1 के अतिरिक्त को अन्य गुणनखंड है.
युग्म-अभाज्य संख्याएँ:- ऐसी अभाज्य संख्याएँ, जिनके बीच का अंतर 2 हो, वो युग्म-अभाज्य संख्याएँ कहलाती हैं.
जैसे- (11, 13),
(3, 5) आदि
परिमेय संख्या (Rational Numbers):-वह संख्या जो p/q के रूप में लिखा जा सकता है, उसे परिमेय संख्या कहते है.जहाँ p तथा q पूर्णांक हैं एवं q ≠ 0 अर्थात p और q दोनों पूर्णांक हो लेकिन q कभी शून्य न हो.
जैसे- 4, 1.77 , 0
, 2/3 आदि
Note:-
- Ø
प्रत्येक पूर्णांक संख्या एक परिमेय संख्या होती है.
- Ø
प्रत्येक प्राकृत संख्या पूर्णांक संख्या होती है.
अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers):–वह संख्या जिसे p/q के रूप में नहीं लिखा जा सकता है, वह अपरिमेय संख्या कहलाती है.जहाँ p तथा q पूर्णांक हैं एवं q ≠ 0
जैसे – √2, 5 + √3
, √2 , 5 1/3 , π …..
Note:-
- Ø
π एक अपरिमेय संख्या होती है.
वास्तविक संख्याएं (Real Numbers):-परिमेय तथा अपरिमेय संख्याओं के सम्मिलित रूप को, वास्तविक संख्या कहा जाता है.
जैसे:- π, ,√2,√3,21/4, 2.3 आदि
Note:-
- Ø
वास्तविक संख्या को Rez या R से सूचित किया जाता है.
काल्पनिक संख्याएँ (Imaginary Numbers):-
ऋणात्मक संख्यायों का वर्गमूल करने पर जो संख्याएं बनती हैं , वह काल्पनिक संख्या कहलाती हैं.
जैसे:- √( – 2), √
(- 5)
Note:-
- Ø
काल्पनिक संख्या को Imz से सूचित किया जाता है.
- Ø
i काल्पनिक संख्या मुख्य पहचान है.
संख्या पद्धति के याद करने योग्य प्रमुख बातें
:-
- Ø
1.सभी पूर्णाक, परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ ऋणात्मक एवं धनात्मक दोनों हो सकती हैं.
- Ø अभाज्य एवं यौगिक, सम तथा विषम संख्या होती हैं.
- Ø वैसी अभाज्य संख्याएँ जिनके बीच केवल एक सम संख्या होती है, तो वे अभाज्य जोड़ा कहलाती है.जैसे: – (5, 7), ( 3, 5) आदि
- Ø सभी पूर्णाक, परिमेय एवं वास्तविक होते हैं.
- Ø सभी पूर्ण, पूर्णांक संख्याएँ, परिमेय एवं वास्तविक होती हैं.
- Ø सभी भिन्न संख्याएँ परिमेय होती हैं.
- Ø सभी प्राकृत संख्याएँ, पूर्ण, पूर्णाक, परिमेय एवं वास्तविक होती हैं .
- Ø सभी पूर्णांक, परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ वास्तविक होती हैं.
- Ø प्राकृत, अभाज्य , यौगिक , सम, विषम, एवं पूर्ण संख्याएँ कभी भी ऋणात्मक नहीं होती हैं. यंही ये संख्याएँ हमेशा धनात्मक रूप में होती है.
- Ø सबसे छोटी परिमेय संख्या 1 होती है.
- Ø सबसे बड़ी परिमेय संख्या ज्ञात नही है.
- Ø सबसे बड़ी पूर्ण संख्या ज्ञात नही है.
- Ø शून्य एक सम्पुर्नांक है.
- Ø 2 एक मात्र सैम आभाज्य संख्या है.
- Ø
2 को छोड़कर सभी आभाज्य संख्या विषमपूर्णांक है.
1 से 20 . तक के सभी वर्गों की सूची |
|
1 2 = 1 |
2 2 = 4 |
3 2 = 9 |
4 2 = 16 |
5 2 = 25 |
6 2 = 36 |
7 2 = 49 |
8 2 = 64 |
9 2 = 81 |
10 2 = 100 |
11 2 = 121 |
12 2 = 144 |
13 2 = 169 |
14 2 = 196 |
15 2 = 225 |
16 2 = 256 |
17 2 = 289 |
18 2 = 324 |
19 2 = 361 |
20 2 = 400 |
1 से 20 . तक के सभी घनों की सूची |
|
1 3 = 1 |
2 3 = 8 |
3 3 = 27 |
4 3 = 64 |
5 3 = 125 |
6 3 = 216 |
7 3 = 343 |
8 3 = 512 |
9 3 = 729 |
10 3 = 1000 |
11 3 = 1331 |
12 3 = 1728 |
13 3 = 2197 |
14 3 = 2744 |
15 3 = 3375 |
16 3 = 4096 |
17 3 = 4913 |
18 3 = 5832 |
19 3 = 6859 |
20 3 = 8000 |
I. यूक्लिड डिवीजन एलोगोरिथम
दो धनात्मक पूर्णांक a और b दिए गए हैं, ऐसे अद्वितीय पूर्णांक q और r मौजूद हैं जो a = bq + r, 0 < r ≤ b को संतुष्ट करते हैं।
इस पर ध्यान दें। हर बार 'r' b से छोटा होता है। प्रत्येक q और r अद्वितीय है।
यूक्लिड डिवीजन एलोगोरिथम का उपयोग दो सकारात्मक पूर्णांकों के HCF को खोजने के लिए किया जाता है।
उदाहरण:
56 और 72 का HCF ज्ञात कीजिए?
Ans:- यूक्लिड डिवीजन एलोगोरिथम को 56 और 72 पर लागू करें।
बड़ी संख्या लें और b और r का पता लगाएं। 72 = 56 × 1 + 16
16 > 0 से,
56 को नया लाभांश और 16 को नया भाजक मानें। 56 = 16 × 3 + 8
फिर से, 8 0, 16 को नया लाभांश और 8 को नया भाजक मानें। 16 = 8 × 2 + 0
चूँकि शेषफल शून्य है, भाजक (8) HCF है।
हालांकि यूक्लिड डिवीजन एलोगोरिथम केवल सकारात्मक पूर्णांक के लिए कहा गया है, इसे शून्य को छोड़कर सभी पूर्णांकों के लिए बढ़ाया जा सकता है, यानी, 0 < r ≤ b
II. वृक्ष का निर्माण
संख्या को अभाज्य संख्या और भाज्य संख्या के गुणनफल के रूप में लिखें
उदाहरण:
48 का अभाज्य गुडनखंड वृक्ष विधि से ज्ञात करे:-
Ans :- इस प्रक्रिया को तब तक दोहराएं जब तक कि सभी अभाज्य संख्याएं प्राप्त
न हो जाएं 48 का अभाज्य गुणनखंडन = 24 x 3
III. अंकगणित की मौलिक प्रमेय
प्रत्येक भाज्य संख्या को अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में व्यक्त किया जा सकता है, और यह व्यंजक उस क्रम से अलग है जिसमें वे प्रकट होते हैं।
अनुप्रयोग:
- Ø दो या दो से अधिक धनात्मक पूर्णांकों का HCF और LCM ज्ञात करना।
- Ø संख्याओं की अपरिमेयता सिद्ध करना।
- Ø परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार की प्रकृति का निर्धारण करना।
1. दो या दो से अधिक धनात्मक पूर्णांकों के HCF और LCM का पता लगाने के लिए एल्गोरिथम:
Ø
चरण
I:- दिए गए धनात्मक पूर्णांकों में से प्रत्येक का गुणनखंड करें और उन्हें अभाज्य संख्याओं के परिमाण के आरोही क्रम में अभाज्य संख्याओं के गुणनफल के रूप में व्यक्त करें।
Ø चरण II:- एचसीएफ खोजने के लिए, सामान्य प्रमुख कारक की पहचान करें और कम से कम शक्तियों को ढूंढें और एचसीएफ प्राप्त करने के लिए उन्हें गुणा करें।
Ø चरण III:- LCM खोजने के लिए, सबसे बड़ा घातांक ज्ञात करें और फिर LCM प्राप्त करने के लिए उन्हें गुणा करें।
Ø Formula
:-
·
ल.स. = (पहली संख्या × दूसरी संख्या) ÷ HCF
·
ल.स × म.स. = पहली संख्या × दूसरी संख्या
·
पहली संख्या = (LCM × HCF) ÷ दूसरी संख्या
·
म.स. = (पहली संख्या × दूसरी संख्या) ÷ LCM
·
दूसरी संख्या = (LCM × HCF) ÷ पहली संख्या
2. संख्याओं की अपरिमेयता सिद्ध करने के लिए:
- Ø एक परिमेय और एक अपरिमेय संख्या का योग या अंतर अपरिमेय होता है।
- Ø
एक शून्येतर परिमेय संख्या और एक अपरिमेय संख्या का गुणनफल या भागफल अपरिमेय होता है।
उदाहरण:- 1. सिद्ध कीजिए √2 अपरिमेय संख्या है।
उत्तर- यदि सम्भव हो, तो माना √2 एक परिमेय संख्या है।
तब मान √2 = m / n, H.C.F. (m, n) = 1, n≠ 0
⇒ m
= √2n
⇒
m2 = 2n2 ….(1)
⇒
2n2 एक समपूर्णाक है।
⇒ m2
एक समपूर्णांक है।
⇒ m
एक समपूर्णांक है। ....(A)
=
m = 2q, q∈ z ....(2)
(1)
व (2) से
4q2
= 2n2
⇒
n2 = 2q2
⇒
n2 एक समपूर्णांक है।
⇒ एक समपूर्णांक है। ....(B)
(A)
तथा (B) ⇒ m
तथा n दोनों ही समपूर्णांक है।
⇒
H.C.F. (m, n) # 1
अतः जो कि विरोधाभास है परिमेय होने का अतः √2 एक अपरिमेय संख्या है।
उदाहरण:- 2. सिद्ध कीजिए 7√5 अपरिमेय संख्या है।
उत्तर- माना कि संख्या 7√5 परिमेय है।
तब, 7√5 = p/q (जहाँ q ≠ 0 और p तथा q धन पूर्णांक हैं)
⇒ p/q = 7√5
या 1/7 x p/q = √5
p/q परिमेय संख्या है तो 17 x p/q
भी परिमेय संख्या होगी।
अब, 1/7 x p/q
परिमेय संख्या है और 1/7 x pq = √5
तब, √5 भी परिमेय संख्या होनी चाहिए।
परन्तु यह तथ्य सर्वमान्य है कि √5 परिमेय संख्या नहीं है। यहाँ एक विरोधाभास है जिसका कारण हमारी मान्यता कि “संख्या 7√5 परिमेय है” ही है जो असंगत और त्रुटिपूर्ण है।
अत: 7√5 एक अपरिमेय संख्या है।
3. परिमेय संख्याओं के दशमलव प्रसार की प्रकृति का निर्धारण करने के लिए:
- Ø मान लीजिए x = p/q, p और q सह-अभाज्य हैं, एक परिमेय संख्या हो जिसका दशमलव प्रसार सांत हो। तब 'q' का अभाज्य गुणनखंड 2 m 5 n के रूप का है , m और n ऋणेतर पूर्णांक हैं।
- Ø मान लीजिए x = p/q एक ऐसी परिमेय संख्या है कि 'q' का अभाज्य गुणनखंडन 2 m 5 n , 'm' और 'n' के रूप का नहीं है, क्योंकि यह अऋणात्मक पूर्णांक है, तो x में एक असांत आवर्ती है। दशमलव विस्तार।
4. लघुत्तम समापवर्त्य ( LCM) :- दी गई दो या दो से अधिक उन संख्याओं का उभयनिष्ठ सबसे छोटी अपवर्त्य उन संख्याओं का LCM कहलाता है.
जैसे:- 2, 3 का LCM
2 का अपवर्त्य = 2, 4, 6, 8, 10, 12, 14, 16, 18 ….
3 का अपवर्त्य = 3, 6, 9, 12, 15, 18, …..
उभयनिष्ठ अपवर्त्य = 6, 12, 18, …..
इसलिए
LCM = 6
LCM निकालने की विधियाँ :- LCM ज्ञात करने के प्रमुख दो विधियाँ होती है और ये दोनों विधि LCM निकालने के लिए लोकप्रिय है. हालांकि दोनों विधि का प्रयोग वर्ग यानि मानसिकता के ऊपर निर्भर करता है जो छात्र अपने सहुलियत के अनुसार प्रयोग करते है.
1. लगातार भाग विधि ( Division Method):-
2.अभाज्य गुणनखंड विधि (Prime Factorization Method):-
5.महत्तम समापवर्तक (HCF) :- दो या दो से अधिक संख्याओं का वह उभयनिष्ठ गुणनखंड, जो सबसे बड़ा, उन संख्याओं का महत्तम समापवर्तक (HCF) कहलाता है.
जैसे:- 2, 4, 6 का HCF
2 का अपवर्तक = 1, 2
4 का अपवर्तक = 1, 2, 4
6 का अपवर्तक = 1, 2, 3, 6
उभयनिष्ठ गुणनखंड = 1, 2
इसलिए
HCF = 2
HCF निकालने की विधियाँ :- HCF ज्ञात करने के प्रमुख 3 विधियाँ होती है और ये दोनों विधि HCF निकालने के लिए लोकप्रिय है. हालांकि दोनों विधि का प्रयोग वर्ग यानि मानसिकता के ऊपर निर्भर करता है जो छात्र अपने सहुलियत के अनुसार प्रयोग करते है.
1. लगातार भाग विधि ( Division Method):-
2.अभाज्य गुणनखंड विधि (Prime Factorization Method):-
3. यूक्लिड डिवीजन एलोगोरिथम
6.भिन्नों (अंश/ हर) का HCF एवं LCM:-
1. भिन्नों का HCF = अंशों का HCF/हरों का LCM
2. भिन्नों का LCM = अंशों का LCM/हरों का HCF
Notes :-
- Ø
समान भिन्नों के अंशो को बिना किसी प्रक्रिया के जोड़ा या घटाया जा सकता है.
- Ø यदि किसी अंश को हर द्वारा दशमलव तक भाग दिया जाए तो प्राप्त भिन्न मान दशमलव भिन्न कहलाता है.
- Ø
यदि किसी अंश को हर से भाग देने पर कुछ अंक और दशमलव जोड़े नियमित अंतराल पर बार बार आए तो, उसे पूनरावृत भिन्न कहते है.जैसे:- 3.2525 ….. आदि.
Priyanshu Classes Notes
Mathematics – X (10th)
Chapter
1. Real Number (अध्याय 1 वास्तविक संख्या)
“ You must be the change you wish to
see in the world “
By Priyanshu Thakur